Dhyan kaise kare ध्यान के लाभ ध्यान लाभ हिंदी में: ध्यान या प्रतिबिंब मन और शरीर के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा उपचार है। दुनिया के सभी प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों ने वास्तव में पुराने और साथ ही समकालीन समय में उनका पालन करके अपने फायदे और महत्व को स्वीकार किया है। आजकल मेंटर मेडिटेशन के कई केंद्र हैं, ऐसे संगठन हैं जो विभिन्न तरीकों से ध्यान सिखाते हैं। प्रतिबिंब के सभी दृष्टिकोणों में कुछ बुनियादी समानताएं हैं, जो बताती हैं कि सभी गतिविधियों की जड़ मेल खाती है। इसलिए सभी गतिविधियां अच्छी हैं। सभी तकनीकें सामान्य ध्यान करने से लाभ प्रदान करती हैं। अब हम बताएंगे कि ध्यान कैसे करें और चिंतन के लाभ भी।
1) सरल जीवन शैली का पालन – ( Dhyan kaise kare) Follow simple Lifestyle :

सादा-सात्विक भोजन करना, शरीर को स्वच्छ रखना, अनुकूल विचार रखना और उत्तम गुण का पालन करना भी मानसिक शांति और अवकाश का अनुभव प्रदान करता है। यह सब प्रतिबिंब के लिए उपयुक्त मनोवैज्ञानिक अवस्था उत्पन्न करता है। सभी ध्यान तकनीकें उनके महत्व को पहचानती हैं।
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2) ध्यान करने का सही समय – Best time for meditation :

सुबह 3 बजे से शाम 6-7 बजे के बीच का समय और रात 10 बजे के बाद का समय चिंतन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय सेटिंग में शांति होती है, व्यवधान बहुत कम होता है। चिंतन विधियों के अनुसार मानसिक शक्तियों के विकास के लिए यह समय सर्वोत्तम है।
3) ध्यान कहाँ करें और ध्यान का आसन क्या हो – Best Asana & place for meditation :

ध्यान करने का स्थान आपका पूजा स्थल, एक शांत कमरा या एक निजी खुला स्थान हो सकता है। प्रतिदिन एक ही क्षेत्र में ध्यान का अभ्यास करना ध्यान में प्रगति के लिए सहायक माना जाता है। सुखासन या पद्मासन में जमीन पर कपड़ा या ऊनी आसन बिछाकर पैर को पार करके बैठ जाएं। मैट, पैडिंग सीट, कॉटन पैड (पैडिंग) का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आपको जमीन पर बैठने में दिक्कत होती है तो आप कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं। याद रखें कि कुर्सी का पिछला हिस्सा सीधा हो, जिससे आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी बनी रहे और आपके पैर वास्तव में जमीन पर स्तर महसूस करें। पैर के नीचे फर्श को ढंकना या मोटा कपड़ा होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पैर का जमीन से सीधा संपर्क नहीं है।
4) शरीर की स्थिति (Posture) – Sit straight in meditation :

आंखें बंद या आधी खुली। पीठ सीधी होनी चाहिए, रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। आराम से बैठो। जोर से या ऐसी जगह पर आराम न करें जिससे दर्द या परेशानी हो, नहीं तो आपका दिमाग ध्यान नहीं कर पाएगा। अपने हाथों को अपने ऊपरी पैरों या घुटनों पर रखें। हाथों को ऊपर की ओर खुला होना चाहिए।
5) गहरी सांस लें या प्राणायाम करें – Do deep breathing or Pranayama

ध्यान की शुरुआत में प्राणायाम करने या थोड़ी देर के लिए धीरे-धीरे और धीरे-धीरे लंबी सांस लेने से मनोवैज्ञानिक और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। यह दिमाग (चार्ज) को सक्रिय करता है और विचारों को विनियमित करना भी संभव है। क्रोध में, उत्साह में श्वास बहुत तेज हो जाती है और दुख और दुख में श्वास धीमी गति से चलने लगती है। सांस की गतिविधि का परिणाम विचारों पर होता है और असामान्य श्वास भी मानसिक अनुपयुक्तता का कारण बनता है। नतीजतन प्राणायाम या गहरी और लंबी सांस लेने से मन और विचारों को शांति मिलती है, जिससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है।
6) खुद को परमपिता या परमशक्ति के अंश के रूप में अनुभव करना – Becoming one with God :

यह संसार ऊर्जा के विभिन्न रूपों की अभिव्यक्ति है। इस ब्रह्मांड में एक अत्यंत ऊर्जा या शक्ति का अस्तित्व है जो हमें, सभी जीवित प्राणियों और इस दुनिया को लगातार चला रही है। हम भी उसी अनंत ऊर्जा स्रोत का हिस्सा होने के साथ-साथ उससे जुड़े भी हैं। खुद को उस परम संसाधन का हिस्सा मानकर हम अपनी असीम संभावनाओं के साथ-साथ अवसरों को भी समझते हैं। ध्यान की शुरुआत करते समय, परमपिता/परमशक्ति से प्रार्थना की जाती है कि यदि हमारा ध्यान सफल होता है, तो हम अपने शानदार वास्तविक स्वरूप का अनुभव कर सकते हैं।
7) विचारो पर नियंत्रण कैसे करें – Focus your mind :

आमतौर पर दिमाग में विचारों की एक श्रृंखला चलती रहती है। एक विचार दूसरे को उत्पन्न करता है और साथ ही हमारा मन भी इसी में व्यस्त रहता है। ध्यान तकनीकों में यह दावा किया जाता है कि विचारों की गति को रोकते हैं, विचारों से रहित होने का प्रयास करते हैं। इसके लिए जब भी आपके मन में विचार आए तो उन्हें आने दें और जाने दें, उनमें न उलझें और न ही उलझें। बस एक दर्शक की तरह विचारों के प्रसार को देखें। किसी विचार को धारण करके उसे रेट न दें। इससे धीरे-धीरे विचार की दर कम होगी और विचार कम आएंगे। कब तक मन को विचारों से पूर्णतया विहीन समझेगा? यह निश्चित रूप से आपकी इच्छा के साथ-साथ प्रयास की गंभीरता पर निर्भर करता है। यह ध्यान की गहराई में जाने की विधि है। इसलिए धैर्य, प्रतिबद्धता और आशा के साथ प्रयास करते रहें।
8) एक बिंदु पर मन केन्द्रित करें – Focus mind on one point :

ध्यान में मन को विचारों से हटाकर किसी बिंदु या धारणा को चुनना होता है। यह ज्यादातर उन सभी दृष्टिकोणों में दावा किया जाता है जो आंखें बंद करते हैं और भौंहों के मध्य कारक को देखने और दिमाग को केंद्रित करने का प्रयास करते हैं। इसमें आपको इतना जोर देने की जरूरत नहीं है कि आंखों या सिर में दर्द हो रहा हो। बस बंद आँखों में टकटकी लगाकर ऊपर की ओर सुखपूर्वक बनाए रखें। कुछ दृष्टिकोणों में, मन को सांस लेने और छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाता है, या सांस लेने और छोड़ने के बीच के छोटे अंतराल पर विचार करने के लिए कहा जाता है।
9) ध्यान किसका करें – Chant Mantra or affirmations :

ध्यान विधियों में यह दावा किया जाता है कि एक कारक पर निरंतर तर्क में लगे मन का समर्थन करने के लिए, आप जिस भी देवता की पूजा करते हैं या अपने गुरु का चिंतन करते हैं, उसके फोटो, प्रकार, भावना, गुणों के बारे में सोचें। किसी भी नियम का जप करें, किसी भी प्रकार के गुरु, संत, उत्कृष्ट पुरुष, अनुकूल शक्ति को ध्यान में रखें। अपने दिल में उनसे प्रार्थना करो। ओम, सोहम या सोहम, अहम् ब्रह्मास्मि, ओम नमः शिवाय जैसी संक्षिप्त अवधारणाओं का जप करें या एक सकारात्मक विचार दोहराएं और यह भी महसूस करें कि मैं साहसी हूं, मैं स्वस्थ हूं, मैं सर्वोच्च शक्ति का हूं और इसी तरह। इन क्रियाओं से मन को एकाग्र करना सरल है।
10) नियमित ध्यान करें – Meditate daily :

जैसे हम खाते हैं, सोते हैं, दिनचर्या का पालन करते हैं, उसी प्रकार चिंतन भी नियमित होना चाहिए। इसके ठीक बाद आप निश्चित रूप से ध्यान के लाभों को वास्तव में महसूस करने की क्षमता प्राप्त करेंगे। दैनिक चिंतन हमारे विचारों, कृत्यों और भावनाओं में संतुलन लाता है, जो जीवन में सफलता के साथ-साथ आनंद भी लाता है। प्रतिदिन ध्यान करने से ध्यान की गहराई में उतरना संभव हो जाता है।
11) मेडिटेशन सीखने के कोर्स और मेडिटेशन सेण्टर की जानकारी :
प्रारंभ में ध्यान करने के लिए किसी गुरु या शिक्षक की आवश्यकता नहीं होती है। आप अपने आप से शुरू कर सकते हैं। यदि प्रतिदिन १-२ महीने चिंतन करने के बाद भी आपको किसी प्रकार की परेशानी होती है या शांति नहीं मिलती है, तो उसके बाद आप किसी भी गुरु, ध्यान केंद्र या ध्यान पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। प्रतिबिंब का पता लगाने के लिए भारत में महत्वपूर्ण ध्यान केंद्र हैं योगदा सत्संग सोसायटी, आर्ट ऑफ लिविंग, ईशा संरचना, श्री रमन महर्षि आश्रम, मां अमृतानंदमयी आश्रम, परमार्थ निकेतन आश्रम, ब्रह्माकुमारी आश्रम, विपश्यना ध्यान सुविधा।
ध्यान (मेडिटेशन) के फायदे – Benefits of Meditation

- चिंतन से शरीर और मन की बेचैनी के साथ-साथ अस्थिरता भी रुक जाती है।
- चिंतन करने से चिंता या चिंता से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में नियमों का पालन करना और आत्म-नियंत्रण भी संभव हो जाता है।
- ध्यान मनोवैज्ञानिक शक्तियों को स्थापित करता है।
- ध्यान रचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
- कोई समस्या या चिंता आपको परेशान नहीं करती है।
- क्रोध, अधीरता को दूर करने से तंत्रिका तंत्र (तंत्रिका) शांत रहता है।
- मेडिटेशन से सेहत बढ़ती है, हृदय गति नियमित रहती है।
- ब्लड प्रेशर लगातार कंट्रोल में रहता है।
- पढ़ाई मे मन लगता हैं ।
- शारीरिक और मानसिक श्रम की क्षमता को बढ़ाता है।
Conclusion :-
और भी कई अन्य लाभ है जो कि Dhyan करने के साथ अनुभव में आते है। आज के समय में ध्यान योग करना हमारे मानसिक संतुलन के लिए एक आवश्यकता है। आप रोजाना 5 मिनट मेडिटेशन से शुरुआत करें, नियमित करने से 1-2 महीने में ही आप मेडिटेशन के फायदे महसूस करने लगेंगे। उम्मीद है कि आपका स्वास्थ हमारे इस आर्टिकल से जरूर अच्छा बना रहे । अगर आप बताए गए बातों का पालन करते हैं तो आपका स्वास्थ के साथ साथ दिमाग भी बहुत तेज हो जाएगा जिससे आप बातों को लंबे समय तक याद कर सकते हैं ।